UPS (Unified Pension Scheme): Detailed Analysis, क्या यह आपके पेंशन की गारंटी लेता है?

भारत में पेंशन सिस्टम को लेकर बहुत ज्यादा ही डिस्कशन हो रहा है आजकल। इसका मुख्य कारण है, हाल ही में सरकार के द्वारा UPS को 1 अप्रैल से लागू किए जाने का गजट पब्लिश करना। इस बजट को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे इस स्कीम को OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) और NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) दोनों को मिलाकर बीच का एक स्कीम बनाया गया है।

UPS को अच्छे से समझने के लिए हमें इसके फीचर्स, OPS और NPS के साथ कम्पेरिज़न, हाल में पब्लिश हुए गजट के कुछ इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स पर फोकस करना होगा, तभी हमें पता चलेगा कि आखिर में यह स्कीम हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है या नुकसानदायक। चलिए समझने की कोशिश करते हैं।

UPS (Unified Pension Scheme) क्या है?

UPS (Unified Pension Scheme) का मकसद भारत में पेंशन सिस्टम को सरल और इन्क्लूसिव बनाना है। किसे लॉन्च करने का मुख्य कारण है, यह सुनिश्चित कर सकता है कि सरकारी कर्मचारियों को पूरी सेवा के बाद फाइनैन्शल सिक्युरिटी मिले और पेंशन सिस्टम के अलग अलग प्रकारों की विभिन्नताओ को कम किया जा सके।

UPS को सरकार ने OPS और NPS के पॉज़िटिव फीचर्स को मिलाकर डिजाइन किया है। यह स्कीम, पेंशन से मिलने वाली राशि स्थिरता लाने और इंप्लाइज के बीच सैटिस्फैक्शन क्रिएट करने का प्रयास करती है।

OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) क्या थी?

OPS एक ऐसी सिस्टम थी जिसमें सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद फिक्स पेंशन की राशि मिलती थी। इसका मुख्य फीचर यह था कि पेंशन में मिलने वाली राशि, सेवा के अंतिम वर्षों में मिलने वाली सैलरी के आधार पर तय की जाती थी।

OPS का मेन फीचर:

  • Non Contribution: कर्मचारियों को पेंशन पाने के लिए अपने इनकम से कोई कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं करना होता था।
  • Secure पेंशन amount: यह एक गारंटीड पेंशन सिस्टम थी, जिसमें महंगाई भत्ता (DA) भी लगातार जुड़ता रहता था।
  • Accusation: फाइनेंसियल दृष्टिकोण से देखा जाए तो OPS गवर्नमेंट एक्स्चेकर पर भी अत्यधिक डाले जा रही थी।
NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) क्या है?

NPS को 2004 के बाद भर्ती हुए सारे सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। यह एक ऐसा पेंशन सिस्टम है, जिसमे इंप्लाई और इम्प्लॉयर दोनों को कुछ परसेंटेज में कॉन्ट्रिब्यूशन करना होता है।

NPS का मेन फीचर:

  • कॉन्ट्रिब्यूशन सिस्टम: इम्प्लॉयर दोनों हर महीने कॉन्ट्रिब्यूशन करते हैं।
  • मार्केट बेस्ड रिटर्न: पेंशन से जमा हुए फंड को मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है, जिससे मार्केट के मूवमेंट के आधार पर पेंशन की राशि निर्भर करती है।
  • नॉन-गैरेन्टीड रिटर्न: यह मार्केट के स्टेबिलिटी और परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है।
  • फ्लेक्सिबिलिटी: कर्मचारियों को 60 वर्ष के आयु के बाद 60% राशि ही निकालने का मौका मिलता है और बाकी बची राशि को उन्हें एन्यूटी (वार्षिकी) में परिवर्तित करना पड़ता। है।

हालांकि, NPS ने सरकार के फाइनैन्शियल बर्डन को कम किया, लेकिन कर्मचारियों को OPS जैसी स्टेबिलिटी और सिक्योरिटी NPS में नहीं महसूस हुई।

UPS, OPS और NPS में कुछ कंपैरिजन
UPS (Unified Pension Scheme)
OPS | NPS | UPS : समझें अंतर (Image source: Canva)

(1) फिक्स्ड vs वेरिएबल रिटर्न

  • OPS में पेंशन फिक्स्ड थी, जबकि NPS में मार्केट आधारित होने के कारण फिक्स्ड नहीं है। UPS में इस कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है।
  • UPS के पेंशन की राशि, फिक्स्ड भी होगी और मार्केट बेस्ड रिटर्न के आधार पर भी निर्भर करेगी।

(2) कॉन्ट्रिब्यूशन

  • OPS में कर्मचारियों का कोई कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं था, लेकिन NPS में 10% कर्मचारी और 14% सरकार का कॉन्ट्रिब्यूशन होता है। UPS में यह कॉन्ट्रिब्यूशन परसेंटेज को संभवत: बैलेंस करने की संभावना है।

(3) कर्मचारियों का दृष्टिकोण

  • OPS ने कर्मचारियों को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी दी, लेकिन सरकारी खजाने पर भार बढ़ाया।
  • NPS ने सरकार के फाइनेंशियल बर्डन को कम किया, लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाले पेंशन के रिस्क को बढ़ा दिया। उम्मीद है UPS इन दोनों के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास करेगा।

(4) महंगाई भत्ता (DA)

  • OPS में महंगाई भत्ता भी जुड़ता रहता था। UPS में इस फेसिलिटी को कंसिडर किया जा सकता है परन्तु NPS में तो यह बिलकुल भी नहीं है।
UPS का मेन फीचर
  1. ओवरऑल दृष्टिकोण: UPS का पर्पस OPS की स्टेबिलिटी और NPS की फ्लेक्सिबिलिटी को एक साथ कंबाइंड करना है।
  2. समानता: यह स्कीम सभी कर्मचारियों कुछ समान रूप से फायदा पहुंचाने की कोशिश करेगी।
  3. नॉन डिसक्रिमिनेशन: UPS यह सुनिश्चित करने की करेगा कि किसी भी कर्मचारी को उनके सर्विस पीरियड और कॉन्ट्रिब्यूशन के आधार पर डिस्क्रिमिनेशन ना करे।
  4. सस्टेनेबिलिटी: सरकारी खजाने पर दबाव OPS और NPS के कंपैरिजन में थोड़ा कम डाले।
  5. गारंटीड मिनिमम पेंशन: UPS में एक गारंटीड मिनिमम पेंशन राशि तय करने की कोशिश की गई है।
  6. रिफॉर्म्ड एन्यूटी ऑप्शन: UPS में कर्मचारियों को एन्यूटी परसेंटेज में फ्लेक्सिबिलिटी देने की कोशिश की गई है।
UPS से रिलेटेड हाल के सरकारी आदेश

सरकार ने गजट के द्वारा जो कि 24 जनवरी 2025 को पब्लिश करके 1 अप्रैल 2025 से UPS को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि UPS को लागू करने को लेकर सरकार ने मन बना लिया है और गजट पब्लिश भी कर दिया है, विभिन्न राज्य सरकारें और केंद्रीय कर्मचारी यूनियनें इसे लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति में है।

24 जनवरी 2025 गज़ट के कुछ फीचर्स:

  1. पेंशन गारंटी: ऐसे कर्मचारी जो कम से कम 10 वर्ष की सेवा देकर रिटायर हुए हैं उन्हें गारंटीड पेंशन मिलेगी। सरकार ने जिन कर्मचारियों को FR 56(j) के तहत फोर्स फुल रिटायर किया है, पर दंड नहीं दिया है। उन्हें भी गारंटीड पेंशन दी जाएगी। ऐसे कर्मचारी जो 25 वर्ष की सेवा देकर स्वेच्छिक रिटायरमेंट लेते हैं उन्हें भी उनके रिटायरमेंट डेट से पेंशन दी जाएगी। हालांकि। जिन्हें सर्विस से बर्खास्त या डिसमिस कर दिया गया हो उन्हें यह ऑप्शन चुनने का मौका नहीं दिया जाएंगे।
  2. पेंशन की राशि: 25 वर्ष या उससे अधिक सर्विस देने वाले कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट से तुरंत पिछले 12 महीनों के बेसिक सैलरी के एवरेज का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा। वहीं 25 वर्ष से कम सेवा देने वाले कर्मचारियों को उनके सर्विस पीरियड के अनुपात में पेंशन की राशि सुनिश्चित की जाएगी।

इसके अलावा जिन्होंने कम से कम 10 वर्ष की सेवा दी है उन्हें मिनिमम 10,000 की राशि प्रति महीने पेंशन के रूप में दी जाएगी। यदि पेंशन होल्डर्स कि मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार को अंतिम पेंशन राशि का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा।

UPS की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

संभावनाएँ:

  1. Satisfactory Solution: यह स्कीम कर्मचारियों और सरकार दोनों के लिए लाभदायक मालूम पड़ती है।
  2. Financial Stability: UPS सरकार और कर्मचारियों दोनों के लिए लॉन्ग टर्म सोल्यूशंस प्रोवाइड कर सकता है।
  3. सोशल सेक्योरिटी: UPS सर्विस के बाद कर्मचारियों के जीवन में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी सुनिश्चित कर सकता है।

चुनौतियाँ:

  1. इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट: पेंशन के कान्ट्रब्यूटेड फंड का मैनेजमेंट एक बड़ा चुनौती बन सकता है।
  2. मिनिमम पेंशन: हाल ही में पब्लिश हुए गजट के अनुसार सरकार द्वारा निर्धारित मिनिमम पेंशन, कर्मचारियों को पसंद नहीं आ सकती है।
  3. सेंटर और स्टेट में कोऑर्डिनेशन: हालांकि यूपीएस का गजट पब्लिश हो चुका है, इसे अच्छी तरह से लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल होना बहुत जरूरी है।
निष्कर्ष

UPS (Unified Pension Scheme) कर्मचारियों और सरकार के बीच एक बैलन्स बनाने की कोशिश है। यह स्कीम, पेंशन सिस्टम में सुधार और समानता लाने का प्रयास की है। OPS की स्टेबिलिटी और NPS की फ्लेक्सबिलटी को मिलाकर, UPS न केवल कर्मचारियों की फाइनैन्शल स्टेबिलिटी सुनिश्चित करता है, बल्कि सरकार के लिए एक लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन भी प्रोवाइड कर रहा है।

हालांकि, UPS को ऑलरेडी लागू करने का आदेश आ चुका है। अब देखना है कि किस प्रकार से कर्मचारी इसे एक्सेप्ट करते हैं और एक्सेप्ट करने के बाद जो कर्मचारी इस स्कीम के अंडर रिटायर होते हैं उन्हें किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? क्या UPS से मिली हुई पेंशन की राशि एक बैलेंस्ड लाइफ जीने के लिए पर्याप्त साबित होती है या नहीं तो सरकार उस पर क्या एक्शन लेती है? UPS को लेकर आपके मन में क्या ख्याल है? क्या यह कर्मचारियों के लिए रिस्पेक्ट्फूल साबित होगा या नहीं? कृपया कमेंट करके हमें जरूर बताएं और आर्टिकल अच्छी लगी तो अपनों के साथ शेयर भी करें।

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